Kota में Mumps Virus का संक्रमण बढ़ा, Alert जारी

Kota में Mumps Virus (गलसुआ) का संक्रमण फैल रहा है। Dainik Bhaskar की रिपोर्ट के मुताबिक यह बीमारी तेज़ी से फ़ैल रही है जिससे एक ही परिवार में चार-चार जेन Mumps Virus से संक्रमित हो रहे हैं। ऐसा बताया जा रहा है की अस्पतालों की ईएनटी (ENT) और पीडियाट्रिक (बच्चों के डॉक्टर) की OPD में रोज 50 से 60 मरीज Mumps से पीड़ित हैं। गौरतलब है की यह संख्या OPD का करीब 10 फीसदी है।

आगे बढ़ने से पहले Mumps Virus के बारे में कुछ बातें जान लेते हैं।

Mumps क्या है और कैसे होता है?

मम्प्स एक वायरल बीमारी है जो Rubulavirus परिवार के एक सदस्य, Paramyxovirus के कारण होती है। यह बीमारी जान लेवा नहीं है लेकिन दुखदायी हो सकती है। Virus के संक्रमण के 2 से 3 हफ्ते बाद बिमारी के लक्षण दिखाई देते हैं और इस बीमारी की अवधि 12 से 25 दिन हो सकती है।

Mumps Virus
Mumps Virus Source: mayoclinic

जब किसी को मम्प्स होता है, तो वायरस लार में होता है। खांसने या छींकने से वायरस वाली छोटी बूंदें हवा में फैल सकती हैं। यह वायरस इन छोटी-छोटी बूंदों के ज़रिये सांस लेने से हो सकता है। या आप किसी ऐसी सतह को छूलें जहां बूंदें गिरी हैं और फिर अपने चेहरे को छूने से वायरस फैल सकता है। आप सीधे संपर्क से भी वायरस से संक्रमित हो सकते हैं, जैसे पानी की बोतल या कुछ और खाने की चीज़ साझा करना।

Mumps Virus के Symptoms क्या हैं?

मम्प्स का एक सामान्य लक्षण चेहरे के एक या दोनों तरफ दर्दनाक सूजन है। मम्प्स के लक्षण वायरस के संपर्क में आने के लगभग 2 से 3 सप्ताह बाद दिखाई देते हैं। कुछ लोगों में कोई लक्षण नहीं या बहुत हल्के लक्षण हो सकते हैं।

पहले लक्षण फ्लू के लक्षणों के समान हो सकते हैं जैसे:

  • बुखार
  • सिरदर्द
  • मांसपेशियों में दर्द या पीड़ा
  • खाने की इच्छा नहीं होना
  • थकान

लार ग्रंथियों की सूजन आमतौर पर कुछ दिनों के भीतर शुरू हो जाती है। लक्षणों में शामिल हो सकते हैं:

  • चेहरे के किनारों पर एक या दोनों ग्रंथियों की सूजन।
  • सूजन के आसपास दर्द या कोमलता,
  • कभी कभी मुंह के तल के नीचे की ग्रंथियों में सूजन भी आ सकती है।

इसके आलावा कुछ और लक्षण भी हो सकते हैं जैसे की:

  • 103 F (39 C) या इससे अधिक का बुखार
  • खाने-पीने में परेशानी होना
  • भ्रम या भटकाव
  • पेट दर्द
  • अंडकोष में दर्द और सूजन

क्या मम्प्स वायरस आसानी से फ़ैल जाता है?

मम्प्स वायरस व्यक्ति के खांसने या छींकने से छोटी बूंदें हवा में फैल सकती हैं। यह वायरस इन छोटी-छोटी बूंदों के ज़रिये सांस लेने से हो सकता है। या आप किसी ऐसी सतह को छूलें जहां बूंदें गिरी हैं और फिर अपने चेहरे को छूने से वायरस फैल सकता है।

आप सीधे संपर्क से भी वायरस से संक्रमित हो सकते हैं, जैसे पानी की बोतल या कुछ और खाने की चीज़ साझा करना।

सुझाया गया है की अगर आप मम्प्स की चपेट में आ गए हैं तो अपने आप को isolate कर लें, मास्क का प्रयोग करे ताकि यह बीमारी आपके आस पास वालो या घरवालों को ना फैले।

क्या Mumps हानिकारक हो सकती है?

कुछ मामलों में, मम्प्स वायरस के चलते बच्चों में स्थायी बहरापन और, कभी-कभी, मस्तिष्क में सूजन (encephalitis), जिसके परिणामस्वरूप दुर्लभ मामलों में मृत्यु भी हो सकती है।

मम्प्स की जटिलताएँ उन लोगों में अधिक होने की संभावना है, जिनका टीकाकरण नहीं हुआ है। वे तब भी हो सकते हैं, जब किसी व्यक्ति की लार ग्रंथियां सूजी हुई न हों। यह जटिलताएँ तब होती हैं जब वायरस शरीर के अन्य कोशिकाओं तक पहुँच जाता है। जटिलताओं में शामिल हो सकते हैं:

  • अंडकोष का सूजन: इस अवस्था को ऑर्काइटिस भी कहा जाता है, गंभीर दर्द का कारण बनती है। यौवन के बाद कण्ठमाला संक्रमण के साथ यह अधिक आम है। सूजे हुए अंडकोष के कारण अंडकोष का आकार कम हो सकता है और प्रजनन क्षमता में गिरावट आ सकती है।
  • अंडाशय में सूजन: इस अवस्था को ओओफोराइटिस का कारण भी बनती है, दर्द, पेट खराब, उल्टी और बुखार का कारण बनती है। यौवन के बाद यह जटिलता अधिक होने की संभावना है। यह स्थिति प्रजनन क्षमता को प्रभावित नहीं करती है।
  • एन्सेफलाइटिस: एन्सेफलाइटिस मस्तिष्क में सूजन है, जिसे सूजन कहा जाता है, जो कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकती है। यह जटिलता चेतना में परिवर्तन, दौरे और मांसपेशियों पर नियंत्रण की हानि का कारण बन सकती है।
  • Meningitis: Meningitis मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी के आसपास की झिल्लियों की सूजन या सूजन है। इससे सिर, बुखार और गर्दन में अकड़न हो सकती है। मम्प्स वायरस से संबंधित मेनिनजाइटिस शायद ही कभी दीर्घकालिक समस्याओं का कारण बनता है।
  • बहरापन: मम्प्स के चलते आपको अचानक या समय के साथ बहरेपन का सामना भी करना पद सकता है। हालाँकि इस बीमारी से ठीक होने के बाद सुनने की क्षमता आमतौर पर खुद ही बेहतर हो जाती है।
  • Pancreatitis: इस बीमारी की वजह से होने वाली सूजन से Pancreas को नुकसान पहुंच सकता है, इस स्थिति को Pancreatitis कहा जाता है। लक्षणों में पेट के पास दर्द या कोमलता, पेट ख़राब होना, उल्टी और बुखार शामिल हो सकते हैं।
  • गर्भपात: गर्भावस्था के पहले 12 हफ्तों के दौरान मम्प्स होने से गर्भावस्था समाप्त होने का खतरा बढ़ सकता है, जिसे गर्भपात कहा जाता है।

Mumps का Treatment क्या है?

मम्प्स के लिए कोई विशिष्ट चिकित्सा उपचार नहीं है। इस बीमारी में दिखाई देने वाले लक्षणों के अनुसार ही उपचार बताया जाता है:

  • भरपूर मात्रा में तरल पदार्थ और मुलायम भोजन लें जिन्हें चबाना आसान हो। तीखा या अम्लीय फलों का रस (जैसे संतरे का रस, अंगूर का रस, या नींबू पानी) न लें जो पैरोटिड ग्रंथि के दर्द को बदतर बना सकता है।
  • बुखार या दर्द कम करने के लिए एसिटामिनोफेन या इबुप्रोफेन जैसी दवाएँ लें सकते हैं। ध्यान रहे की वायरल बीमारियों में कभी भी एस्पिरिन नहीं लेनी चाहिए। बेहतर यही होगा की जल्द से जल्द अपने डॉक्टर से सलाह करें।
  • गर्म या ठंडे सेक (जो भी बेहतर लगे) से सूजी हुई पैरोटिड ग्रंथियों पर सेक करें।
  • जितना हो सके आराम करें और अपने प्रियजनों के संपर्क में आने से बचें।

मम्प्स एक वायरस के कारण होता है, इसलिए इसका इलाज एंटीबायोटिक दवाओं से नहीं किया जा सकता है। एंटीबायोटिक सिर्फ बैक्टीरिया के लिए असरदार है वायरस के लिए नहीं।

इससे कैसे बचें?

मम्प्स संरक्षण खसरा-मम्प्स-रूबेला वैक्सीन (MMR) या खसरा-मम्प्स-रूबेला-वैरीसेला वैक्सीन (MMRV) का हिस्सा है। यह वैक्सीन 12-15 महीने के बच्चे को दिए जाते हैं और फिर जब वे 4-6 साल के हो जाते हैं।

कभी-कभी जिन लोगों को टीका लगाया गया है उन्हें भी मम्प्स हो जाती है। लेकिन उनके लक्षण टीका न लगवाने की तुलना में बहुत हल्के होंगे।

Kota में Mumps Virus का संक्रमण बढ़ा

Kota में Mumps Virus से ज़्यादातर बच्चे पीड़ित हैं, जिसके चलते पीडियाट्रिक (बच्चों के डॉक्टर) और ENT की OPD में रोज 50 से 60 मरीज Mumps Virus से पीड़ित हैं। गौरतलब है की यह संख्या OPD का करीब 10 फीसदी है।

इतना ही नहीं कुछ 40-42 साल की आयु वालों के भी मम्स हो रहे हैं। इनमे से कुछ मरीजों की सुनने क्षमता पर भी असर पड़ा है और कुछ के तो जनानांगों में सूजन आ गई है। हालाँकि पहले बड़ों में Mumps Virus के केस नहीं आते थे।

पीडियाट्रिक के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. मोहित अजमेरा का कहना है कि यह वायरल डिजीज है। पिट्यूटरी ग्रंथी में संक्रमण से बच्चे अधिक प्रभावित होते है। क्योंकि, उनकी इम्युनिटी कमजोर होती है। संक्रमण के चलते जबड़े की साइड और कान में सूजन आ जाती है। बुखार रहता है।

वही सीनियर पीडियाट्रिक डॉ. अनुराग मेड़तवाल का कहना है कि वायरस की प्रवृत्ति में बदलाव आने से इतने मरीज आ रहे हैं। ईएनटी (ENT) के डॉ. प्रज्ञानंद गौतम ने सुझाया है कि संक्रमण रोकने के लिए आइसोलेट हो जाना चाहिए।

आरसीएचओ डॉ. रमेश कारगवाल का कहना है कि बाजार में टीका उपलब्ध है। सीएमएचओ डॉ. जगदीश सोनी का कहना है कि सीएचसी और पीएचसी में इतने मरीज रिपोर्ट नहीं हो रहे हैं। फिर भी सभी को अलर्ट कर दिया गया है। ऐसे लक्षणों पर तुरंत डॉक्टर को दिखवाएं। बच्चे को स्कूल नहीं भेजें, ताकि संक्रमण न फैले।

कोटा के साथ साथ जयपुर में भी Mumps Virus के केस देखे गए हैं। यह बीमारी तेज़ी से फ़ैल रही है।

तो दोस्तों यह थी मम्प्स वायरस के बारे में संपूर्ण जानकारी उम्मीद करते हैं की यह जानकारी आपके लिए लाभकारी साबित होगी। KoVo पर हम काफी research कर के आपके लिए कंटेंट बनाते हैं तो हमे फॉलो करना न भूलें। जागरूक रहें, स्वस्थ रहें और मस्त रहें।

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