हाल ही में हुए नवीनीकरण के दौरान कोटा के कुछ मशहूर चौराहे काफी चर्चा का विषय बन गए। इन सभी चौराहो के बारे में आज हम इस लेख में जानेंगे। कोटा शहर की मुख्य विशेषताओं में यहां के चौराहे किसी अजूबे सें कम नहीं, जहाँ एक ओर चौराहे शहर को मुख्य मार्गों से जोड़ते हे वही कुछ चौराहे राष्ट्रीय और अंतरराज्य सीमाओं को भी मिलाने का कार्य करते हे । नवीनीकरण के बाद Underbridge और Flyover’s इस शहर की शान बन चुके है।
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जिनमें Aerodrome Circle, अंटाघर चौराहा, गुमानपुरा, बोरखेड़ा, के.पाटन चौराहा आदि शामिल है। अगर आपको कभी शिक्षा नगरी कोटा में भ्रमण का मौका मिले तो Aerodrome Circle से अंटाघर चौराहे के बीच न को मोह लेने वाले कई स्थान और पर्यटन स्थलों को देखने का लाभ प्राप्त होगा जैसे :- जलमहल (किशोर सागर), क्षारबाग, छत्रविलास उद्यान, लक्कीबुर्ज, शहीद स्मारक आदि।
Kota Ke Chaurahe: Aerodrome Circle

Aerodrome Circle से ही उत्तर से दक्षिण की ओर ”NH-52” आता है । NH-52 पर कोटा से दक्षिण में जाने पर झालावाड़ जिला आता है । स्थानीय लोग इसे झालावाड़ रोड के नाम से भी जानते है । Aerodrome Circle से झालावाड़ रोड पर Kota airport स्थित है । इसी रोड पर आगे जाने पर Kota Heart और Sudha Hospital मौजूद है । Aerodrome Circle से NH-52 पर 8 किलो मीटर दक्षिण-पूर्व में एशिया की सबसे बड़ी मंडियों में से एक “सेठ भामाशाह कृषि उपज मंडी है जिसमे हाड़ोती के साथ-साथ कई स्थानों से किसान अनाज बेचने आते है।
Kota Ke Chaurahe: अंटाघर चौराहा
अंटाघर चौराहा नवीनीकरण के बाद न्यू अंटाघर चौराहे के नाम से भी जाना जाता है। इस चौराहे पर अब बारां रोड के लिए एक खूबसूरत अंडरपास बना दिया गया है और स्टेशन रोड के लिए एलिवेटेड रोड बनाया गया है। गुमानपुरा से जाते समय बारां रोड जाने के लिए “Globe Circle” से होकर अंडरपास से जाना पड़ता है। यह चौराहा बारां रोड पर स्थित है जो नयापुरा में विवेकानंद चौराहे पर आकर मिलता है।
जब भी आप यहाँ से गुजरे आप देखेंगे चौराहे के इर्द-गिर्द कई आकर्षक स्थान और चीजे हैं जैसे:- J.K Pavilion Stadium Kota, International Cricket Stadium, जानकी देवी बजाज कन्या महाविद्यालय, Holy Mother Sharda Senior Secondary School, आदि। अंटाघर चौराहे से छावनी की ओर जाने पर “JDB GIRL’S COLLEGE” के नजदीक शहीद स्मारक तथा विशाल तिरंगा हमारे देश प्रेम को प्रदर्शित करता है तथा शाम के समय दाये तरफ किशोर सागर तालाब का बेहद ख़ूबसूरत Water fountain देखने को मिलेगा। शाम के समय यह नजारा देखते ही बनता है।
अंटाघर चौराहे से यदि स्टेशन की ओर चला जाये आपको दिखाई देगा कोटा गवर्नमेंट कॉलेज जिसकी खूबसूरती के क्या कहने। यह किसी महल से कम नहीं लगता है। गौरतलब है की इसकी खूबसूरती को निहारने का मज़ा रात में दो गुना हो जाता है जब ये रौशनी से जगमगा उठता है।
Kota Ke Chaurahe: छावनी चौराहा
कोटा के चौराहों की बात हो और छावनी चौराहे का नाम नहीं आये, प्राचीनतम और ऐतिहासिक स्थानों में शुमार यह चौराहा अपना एक अलग स्थान रखता है। स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने वाले सैनिक तथा क्रन्तिकारी दलों की टुकड़ी यहाँ लम्बे समय तक सक्रीय होने के कारण इस स्थान को छावनी नाम मिला । हालाँकि बदलते समय के साथ अब चौराहा modern look में परिवर्तित हो गया फिर भी यहाँ के तंग रोड़, व्यस्त मार्ग की उपयोगिता को दर्शाते है। इसके पूर्व में रामचंद्रपुरा तथा पश्चिम में गुमानपुरा कोटा के पुराने बाज़ार अपनी उपयोगिता के लिए जाने जाते है। रात्री में छावनी Flyover से जगमगाते शहर का परिदृश्य बहुत ही सुन्दर लगता है । छावनी से शहर के सभी महत्वपूर्ण स्थानों के लिए संसाधन मिल जाते है तथा बपावर, खानपुर, सांगोद के लिए प्रत्येक घण्टे बसों की सुविदा 12 महीने उपलब्ध होती है। छावनी से कोटड़ी चौराहे की ओर चलने पर किशोर सागर के किनारे “Seven Wonder’s Park” (सात अजूबे) स्थित है जिनमें सभी Seven Wonders of the World शामिल किये गए है जैसे: ताजमहल, गीज़ा के पिरामिड आदि।
Kota Ke Chaurahe: घोड़े वाले बाबा चौराहा

Aerodrome Circle से करीब 50 मीटर की दूरी पर घोड़ा बाबा चौराहा है। यह चौराहा रावतभाटा रोड पर स्थित है। यहाँ से गुमानपुरा की ओर जाने वाला रोड चौराहे से उत्तर की ओर तथा पश्चिम में CAD Circle आता है। घोड़ा चौराहे का नाम कर्नल टॉड के घोड़े के नाम के आधार पर रखा गया था जो अपने पास हमेशा एक घोडा रखा करते थे।
जब कर्नल टॉड राजस्थान कोटा के दौरे पर थे, उनके घोड़े की यहाँ अकस्मात मृत्यु हो गयी जो उन्हें अतिप्रिय था। उसकी याद में कोटा के महाराव राम सिंह ने कर्नल टॉड के घोड़े की प्रतिमा का निर्माण करवाया। बाद में इस स्थान को घोड़ा बाबा चौराहा के नाम से पुकारा जाने लगा। कर्नल टॉड वही व्यक्ति थे जिन्होंने इस राज्य को राजस्थान नाम दिया। शायद ही कोई होगा जो इस चौराहे को नहीं जनता होगा। नवीनीकरण के बाद चौराहे का सौंदर्यकरण कोटा की सुंदरता तथा उपयोगिता को दर्शाता है।
तो दोस्तों से किस यहाँ लगने वाले कढ़ी कचौरी के ठेले पर कढ़ी कचौरी का आनंद लिया है निचे कमेंट करके ज़रूर बताएं।
Kota Ke Chaurahe: CAD चौराहा
CAD Circle के नाम से प्रसिद्ध यह चौराहा दशहरा मैदान के दक्षिण-पूर्व में स्थित है। यहाँ से पश्चिम दिशा कि ओर जाने पर चम्बल उद्यान तथा दक्षिण कि और जाने पर दादाबाड़ी, जवाहर नगर, केशवपुरा आदि चौराहे आते है। CAD Circle से कोटा की लगभग सभी जगहों पर जाने के लिए यातायात की सुविदा उपलब्ध हो जाती है, जैसे ओटो-रिक्शा, सिटीबस आदि। CAD Circle के नजदीक पड़ने वाले स्थानों में मुख्य रूप से दक्षिण-पश्चिम में भारत विकास अस्पताल, उत्तर-पश्चिम में नगर निगम कोटा और इसी के पश्चिम में दशहरा मैदान कोटा, दादाबाड़ी चौराहे की ओर जाने पर रोड़ से बाएं तरफ CAD GROUND, घोड़ा चौराहे से CAD Circle आते हुए बाईं ओर नगर परिषद, तथा CAD GROUND की ओर जाने पर चौराहे से लगभग 50 मीटर की दूरी पर बाईं ओर रेलवे टिकटघर मौज़ूद है।
Kota Ke Chaurahe: घटोत्कच चौराहा

कोटा के प्रसिद्ध चौराहों में घटोत्कच चौराहा मुख्य आकर्षण का केंद्र है, इसकी छटा देखते ही बनती है। यह दक्षिण में रंगबाड़ी, पूर्व में अनंतपुरा तथा पश्चिम में रावतभाटा मुख्य मार्ग को जोड़ने वाला रोड है। घटोत्कच चौराहे पर आवागमन निरंतर बना रहता है। यहाँ का यातायात इस चौराहे की उपयोगिता सिद्ध करने के लिए पर्याप्त है। यह चौराहा अपनी बनावट के लिए अपनी Unique पहचान रखता है। यहाँ बनायी गयी मूर्तिकला युद्धकौशल को प्रगट करती है। भारतीय कालखंड में हुए एक ऐतिहासिक घटनाक्रम को जीवंत करता हुआ हमें महाभारत के युद्ध की याद दिलाता है। यह कलाकृति भीम का पुत्र घटोत्कच और महान योद्धा कर्ण की बीच हुए घमासान युद्ध की कहानी बयां करती है। महाभारत युद्ध में कर्ण द्वारा पांडव सेना का संहार किया जा रहा था तब भगवान श्री कृष्ण के निर्देशानुसार भीम पुत्र घटोत्कच को बुलाया गया और कर्ण के द्वारा उसका वह अस्त्र जिसके द्वारा कर्ण अर्जुन को मरने वाला था वह तीर घटोत्कच पर चलवाया गया। इसके बलिदान का महाभारत में विशेष महत्व है।
Kota Ke Chaurahe: के. पाटन चौराहा

केशवराय पाटन चौराहा से सीधे पश्चिम में जाने पर बूंदी तथा उत्तर में केशवराय पाटन आता है। इसी चौराहे पर मानव निर्मित त्रिकुटा पर्वत अति मनोरम और भव्य दृश्य स्थल है, जिसे पूरा देखने के लिए आपके पास कम से कम 3 से 4 घंटे का समय होना चाहिए। रात्रि में यह स्थान और भी आकर्षित करता है । चौराहे से देखने पर यह स्थान किसी अजूबे से कम नहीं लगता । यदा कदा आपका कोटा आने का संयोग बने तो समय निकाल कर त्रिकुटा मंदिर जरूर पधारें।
Kota Ke Chaurahe: विवेकानन्द चौराहा

नवीनीकरण के बाद विवेकानंद चौराहा बहुत आकर्षक लगने लगा है। इस चौराहे को बस स्टैंड चौराहा कहना गलत नहीं होगा क्योंकि यहाँ से ही बसों का सफर शुरू होता है और यह कोटा का सबसे पुराना बस स्टैंड भी है। रात्रि के समय लाइट की रोशनी में विवेकानंद जी की मूर्ति मानो जीवंत लगती है। चौराहे से पूर्व में जाने पर नयापुरा चौराहा करीब 100 मीटर पड़ता है। इस चौराहे पर प्रसिद्ध रतन कचोरी स्टाल हे जिसका स्वाद अपने आप में अपनी अलग पहचान रखता है। विवेकानंद चौराहे से आगे पश्चिम दिशा में जाने पर चम्बल पुल तथा कोटा रिवर फ़्रंट का द्वार भी बनाया गया है। पुल को पार करने पर आप कुन्हाड़ी चौराहे पर पहुंचते हैं जहाँ से त्रिकुटा होकर बूंदी जिले के लिए सीधा रोड जाता है।
Kota Ke Chaurahe: अदालत चौराहा

अदालत चौराहा रेलवे स्टेशन मुख्य मार्ग पर स्थित है। अदालत चौराहा नाम ही इस चौराहे की पहचान बताता है, इस चौराहे पर कोटा अदालत स्थित है। जहा सभी प्रकार के मुकदमों की सुनवाई की जाती हे जैसे लड़ाई झगड़ा, तलाक आदि। अदालत चौराहे से दक्षिण में कोटा हेड पोस्ट आफिश है तथा रेलवे स्टेशन जाते हुए बाई ओर कोटा डिस्ट्रिक्ट कलेक्ट्रेट और दाई ओर कोटा जिला न्यायालय स्थित है अब तो आप समझ ही गए होंगे की इस चौराहे को अदालत चौराहा क्यों कहते हैं। इसी मार्ग में महाराव भीमसिंह अस्पताल कोटा मौजूद है जहा हाड़ोती और उसके आसपास के ग्रामीण और शहरी क्षेत्र के लोग दूर दूर से यहाँ इलाज कराने आते है। घर परिवार और आपसी मतभेद के मामलों में आने वाले फरियादी और परिजनों का जमावड़ा इस चौराहे के नाम को सिद्ध करते है। अन्य चौराहों की तरह नवीनीकरण के बाद इस चौराहे की भी स्थिति में काफी सुधार आया है।
गोबरिया बावड़ी चौराहा और अनंतपुरा चौराहा

गोबरिया बावड़ी चौराहा और अनंतपुरा चौराहा Aerodrome Circle से NH-52 पर झालावाड़ की ओर जाने पर गोबरिया बावड़ी चौराहा और अनंतपुरा चौराहा आएगा। Underbridge और Flyover से बना हुआ यह चौराहा कोटा को अंतरराज्य सीमा से जोड़ता है। चौराहे से आगे जाने पर बाई तरफ में इंदरप्रस्थ औद्योगिक क्षेत्र तथा दाई ओर रंगबाड़ी आता हे। आगे जाने पर यह मार्ग कोटा बाईपास को काटता है। गोबरिया बावड़ी और अनंतपुरा से NH-52 आगे चलने पर दाईं और एक प्राकृतिक और धार्मिकता के मायने से बहुत ही सुन्दर स्थान हे जिसे कर्णेश्वर महादेव के नाम जाना जाता है। यहाँ बारिश के दिनों में शहर से कई लोग बारिश और पिकनिक का मजा लेने आते है। गोबरिया बावड़ी चौराहा और अनंतपुरा चौराहा कभी बहुत ज्यादा तंग हुआ करते थे लेकिन हमें विकाश करने वाले जनप्रतिनिधियों को धन्यवाद कहना चाहिए जिन्होंने जनजीवन को सुखद बनाने के लिए इन चौराहों का निर्माण कराया।
दोस्तों ये तो बात हो गयी Kota के सभी मशहूर चौराहों की। अब आप सोचिये की जिस शहर के चौराहे इतने सुन्दर हैं वो पूरा शहर कितना सुन्दर होगा। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा तो अपने Kota या बहार के दोस्तों, रिश्तेदारों के साथ ज़रूर शेयर करें।
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