Kota to Khatu Shyam Ji, दोस्तों यदि आप भी कोटा से श्याम बाबा के दर्शन करने खाटू श्याम जी जाने की इच्छा रखते हैं तो इस पोस्ट में आपको बाबा से जुडी सारी जानकारी देने की कोशिश करेंगे।
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Kota to Khatu Shyam Ji Mandir By Road
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अगर आप Kota to Khatu Shyam अपने वाहन से जाने का प्लान बना रहे हैं तो आपको बता दें, की Google Map के हिसाब से Kota to Khatu Shyam Ji की दूरी लगभग 353 KM है।
अगर आप बस से यात्रा करना चाहते हैं तो ऊपर बताई गयी बस सेवा का लाभ उठा सकते हैं या फिर आपको जयपुर सिंधी कैंप बस स्टैंड जाना होगा जहां से खाटू श्याम मंदिर जाने के लिए सीधे बस और टैक्सी आसानी से मिल जाती है। जयपुर से खाटू श्याम की दूरी करीब 80 किलोमीटर है। आप किसी भी समय टैक्सी या बस से सफर कर सकते हैं।
Kota to Khatu Shyam by Train
यदि आप Kota to Khatu Shyam Ji ट्रैन से जाना चाहते हैं तो आपको रींगस होते हुए जाना पड़ेगा। कोटा जंक्शन से रिंगस जंक्शन के लिए सबसे सस्ती ट्रेन 19813 KOTA SIRSA EXP है। कोटा जंक्शन से रिंगस जंक्शन जाने के लिए ट्रेन को लगभग 6 से सवा 6 घंटे का समय लगता है। यह ट्रेन कोटा जंक्शन से 23:45:00 बजे निकलती है और 05:57:00 बजे रिंगस जंक्शन पहुँचती है। यह ट्रेन Mon, Thur, Sat को चलती है।
कोटा जंक्शन से रिंगस जंक्शन के लिए सबसे तेज़ ट्रेन 12239 HISAR DURONTO है। यह ट्रेन कोटा जंक्शन से लगभग 4 घंटे 30 मिनट में रिंगस जंक्शन पहुंचती है। यह ट्रेन कोटा जंक्शन से 10:05:00 बजे निकलती है और 14:35:00 बजे रिंगस जंक्शन पहुँचती है। यह ट्रेन Mon, Wed को चलती है।
Kota to Khatu Shyam Ji जाने के लिए आप दोनों में से अपनी सुविधा अनुसार कोई भी ट्रैन में जा सकते हैं। रींगस से खाटू श्याम जाने की आपको पर्याप्त सुविधाएं मिल जाएंगी।
Khatu Shyam Ji मंदिर की महिमा
बाबा Khatu Shyam Ji का मंदिर राजस्थान के सीकर जिले में सीकर शहर से सिर्फ 43 किमी दूर खाटू गांव में स्थित एक हिंदू मंदिर है। इस मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण और बर्बरीक की पूजा की जाती है, जिन्हें अक्सर कुलदेवता के रूप में पूजा जाता है। महाभारत की एक कथा के अनुसार भक्तों का मानना है कि मंदिर में बर्बरीक का असली सिर है, जो एक महान योद्धा थे, जिन्होंने कुरुक्षेत्र युद्ध के दौरान श्रीकृष्ण के कहने पर अपना सिर काटकर उन्हें गुरु दक्षिणा के रूप में अर्पित कर दिया था और बाद में श्रीकृष्ण ने उन्हें श्याम नाम से पूजित होने का आशीर्वाद दिया था।
बाबा खाटू श्याम का संबंध महाभारत काल से माना जाता है। यह पांडुपुत्र भीम के पौत्र थे। ऐसी कथा है कि खाटू श्याम की अपार शक्ति और क्षमता से प्रभावित होकर श्रीकृष्ण ने इन्हें कलियुग में अपने नाम से पूजे जाने का वरदान दिया था।
शीश का दानी
अपनी मां के कहे अनुसार बर्बरीक युद्ध में हारने वाले पक्ष का साथ देने आए। लेकिन भगवान श्रीकृष्ण जानते थे कि कौरवों को हारता देखकर बर्बरीक कौरवों का साथ देंगे, जिससे पांडवों का हारना तय है। तब भगवान श्री कृष्ण ने ब्राह्मण का रूप बनाकर बर्बरीक से शीश दान में मांगा। इस पर बर्बरीक ने अपनी तलवार के द्वारा भगवान के चरणों में अपना सिर अर्पित कर दिया। इसलिए उन्हें शीश का दानी कहा जाता है।
हर साल लगता है खाटूश्याम मेला (लक्खी मेला):
फाल्गुन महीने में 12 मार्च 2024 से लक्खी मेले का आयोजन होगा, जिसका समापन 21 मार्च 2024 को होगा। इस मेले में देश के कोने-कोने से लाखों भक्त शामिल होने आते हैं। फाल्गुन महीने में शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को इस मेले का मुख्य माना जाता है।
प्रत्येक वर्ष होली के दौरान खाटू श्यामजी का मेला लगता है। इस मेले में देश-विदेश से भक्तजन बाबा खाटू श्याम जी के दर्शन के लिए आते हैं। इस मंदिर में भक्तों की गहरी आस्था है। बाबा श्याम, हारे का सहारा, लखदातार, खाटूश्याम जी, मोर्विनंदन, खाटू का नरेश और शीश का दानी इन सभी नामों से खाटू श्याम को उनके भक्त पुकारते हैं। खाटूश्याम जी मेले का आकर्षण यहां होने वाली मानव सेवा भी है। बड़े से बड़े घराने के लोग आम आदमी की तरह यहां आकर श्रद्धालुओं की सेवा करते हैं। कहा जाता है ऐसा करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।
क्यों लगता है लक्खी मेला:
धार्मिक मान्यता के अनुसार, जब बर्बरीक से भगवान श्री कृष्ण ने शीश मांगा था, तो बर्बरीक ने पूरी रात्रि भजन किया और फाल्गुन माह के शुक्ल द्वादशी को स्नान कर सच्चे मन से पूजा की। इसके बाद बर्बरीक ने भगवान श्री कृष्ण को अपना शीश काटकर दे दिया। मान्यता है कि इसी वजह से हर साल लक्खी मेला लगता है। खाटू श्याम मेला हर साल हिंदू महीने फाल्गुन में 10 दिनों तक मनाया जाता है।
बाबा खाटू श्याम जन्मोत्सव
हर साल कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को खाटू श्याम जी जन्मोत्सव मनाया जाता है। इस खास मौके पर खाटू श्याम मंदिर को रंग-बिरंगे फूलों से सजाया जाता है। इस मनमोहक दृश्य को देखने के लिए अलग-अलग जगहों से भक्त जुटते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो भी भक्त सच्चे मन से बाबा खाटू श्याम के दर्शन करने जाता है उसकी हर अधूरी प्रार्थना पूरी हो जाती है। साथ ही व्यक्ति को सभी दुख-दर्द से छुटकारा मिल जाता है।
हारे का सहारा बाबा श्याम हमारा क्यों कहाँ जाता है।
यह महान योद्धा थे. जिनके बारे में प्रसिद्ध है कि आज भी वह माता को दिए वचनों के अनुसार इस संसार में हारने वाले इंसान का साथ देते हैं तभी उन्हें हारे का सहारा कहा जाता है. वीर बर्बरीक की अपार शक्ति और क्षमता से प्रभावित होकर श्रीकृष्ण ने इन्हें कलियुग में अपने नाम से पूजे जाने का वरदान दिया था।
बाबा खाटू श्याम जी के मंदिर के दर्शन का समय :
गर्मी में दर्शन का समय
- सुबह 4.30 से दोपहर 12.30 बजे तक
- शाम में 5 बजे से रात 9 बजे तक
सर्दी में दर्शन का समय
- सुबह 4.30 से दोपहर 12.30 बजे तक
- शाम में 4 बजे से रात 10 बजे तक
खाटू श्याम में होटल और रुकने की व्यवस्था:
खाटू श्याम महाराज जी के दर्शन करके आप चाहें तो वापस जयपुर आ सकते हैं। अगर आपको वहां रुकना है तो परेशान होने की जरूरत नहीं है। खाटू श्याम में रुकने के लिए कई अच्छी धर्मशाला हैं। इसके अलावा 1 हजार तक में आपको कई प्राइवेट होटल भी आसानी से मिल जाएंगे। यहां किफायती दामों में खाने-पीने के लिए कई रेस्टोरेंट भी हैं।
तो दोस्तों यह थी Kota to Khatu Shyam Ji जाने की समपूर्ण जानकारी। उम्मीद करते हैं आपको पसंद आयी होगी। यदि आप इसमें कुछ जोड़ना चाहते हैं तो हमे comment कर के बताये। ताकि बाकि श्रद्धालुओं तक सही जानकारी पोहोच सके।
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